लेखक की कलम से

भादो के बरखा ….

    (छत्तीसगढ़ी में हाईकू कविता लेखन)    

 

भादो के पानी,

गिरे अलकरह,

गिंधोल कूदे,

 

पिरथी दाई,

अघागे हरियाए हे,

सुघ्घर लागे,

 

लबलबागे,

तरिया नरवा ह,

बोहात घलो,

 

झिंगरा नाचे,

अउ ढोरगी भागे,

मन ह झूमे,

 

धनहा डोली,

हरियर घलो हे,

कांशी फुलगे,

 

हलधरिया,

मगन होवत हे,

देखे सपना,

 

बनिहार ह,

गाना घलो गाए,

रउत भागे,

 

भादो म गिरे,

एसो के बरखा ह,

सुघ्घर लागे,

 

? जय जोहार ?

 

 

      ©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़      

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