लेखक की कलम से

अपमान…….

आज एक अमीरज़ादे द्वारा राष्टीय ध्वज के अपमान के केस की सुनवाई थी।

पर… ऊंची पहुंच और पैसों की गर्मी से जज साहिब आर्डर देते हुए बोले, “यह केस पूरी तरह से गलत है। श्रद्धा मन में होनी चाहिए, दिखावे में नहीं। इसलिए यह केस रद्द किया जाता है।”

जज साहब के खड़े होते ही, बाकी लोग भी खड़े हो गए। वरिष्ठ वकील न जाने किन सोचों में बैठे थे। अपना अपमान होते देख, जज साहब ने आग्नेय दृष्टि से उन्हें देखा।

मुस्कुराते हुए वरिष्ठ वकील खड़े हो गए और बोले,”योर ऑनर, श्रद्धा मन में है।”

©अंजु गुप्ता

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