लेखक की कलम से
संभावना …
क्या पता भक्ति काल
फिर से
लौट आए
शंखनाद की गूंज हर तरफ़
और अल्लाह की है अजां
शबद, कीर्तन चर्च के घंटे
और अरदास है गूंजे ।
क्या पता किस वेष में
देवगण ज़मीं पर आ जाएँ,
और अपने-अपने वाहनों को
सर्व सम्मति से
सम्पूर्ण शक्ति से
अस्त्र- शस्त्र से
इस धरती मॉं और
उसकी संतानों को इस पीड़ा
से उबार दें।
क्या पता चल पड़े हो
मूषक जी
सर्व प्रथम पूजनीय
गणेश के आदेश से
जी हाँ
हो सकता है,
बोलें गणपति
मूषक को,
मूषक कुतर डालो
धोखे और भ्रष्टाचार की इन रस्सियों को
जिनमें बंधक है आक्सीजन जो दे सकतीं हैं श्वासें
ज़रूरतमंद मानव को ।
क्या पता
हो जाए श्रीगणेश
नव जीवन व ख़ुशहाली का
कोई मोहिनी अवतार ले ले
और
भ्रष्टाचारी
मानव रूपी दानवों से
जीवन दायनी कलश को छीने।
©सावित्री चौधरी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश