लेखक की कलम से
दिल के द्वारे…
दिल के द्वारे दस्तक किसने फिर से दी है
भावों का तूफान बहाने किस्मत ही है
सुप्त विचारों को जगाने के खातिर
लाख तराने गुनगुनाने किस्मत ही है
दिल के द्वारे दस्तक किसने दी है…
अरमानों के फूल सजाकर आने वाले,
दिन में भी तारे दिखलाने किस्मत ही है
दिल के द्वारे दस्तक किसने …..
भर दोगे आंचल तुम मेरा वादा करके,
हंस-हंस कर गम को पी जाने किस्मत ही है
दिल के द्वारे दस्तक किसने …
खो जाती हूँ उसकी बातों बातों में,
खोकर भी पा लेती हूं किस्मत ही है
दिल के द्वारे दस्तक किसने ….
पंक्तियों को मेरे सुलझाने के ही खातिर,
भावों में बहना भी किस्मत ही है
दिल के द्वारे दस्तक किसने …..
-अल्पना सिंह(कोलकाता) शिक्षिका, कवयित्री