लेखक की कलम से

स्वागत अगहन …

 

मंडप नीचे बैठी बिटिया दान हो गई आज

नैहर की हंसी किलकारी दान हो गई आज

पाला पोसा मन मसोसा फिर क्यों किया पराई

सारे रिश्ते नाते जन्म के दान हो गई आज!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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