लेखक की कलम से
ये सरकार …
पांच कविताएं
(1)
सरकार लाचार
सिस्टम लच्चर
भगवान मालिक,
इन दिनों।
(2)
सरकार
का मतलब-
कुर्सी और कार !
काम –
इनको बचाना
पाँच साल तक।
(3)
सरकार
सचमुच
सरकारी निकली,
सरकती ही नहीं।
(4)
सरकार ने
जनता से बना ली
दो गज की दूरी ,
अपने मुँह को
करके बंद
कह दिया
मास्क है जरूरी।
(5)
जनता बोली-
सरकार !
हम
मर रहे है,
वे बोले-
रूको,
अभी हम
चर रहे हैं।
©डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा, राजस्थान