लेखक की कलम से
समय …
कुछ ऐसा वक़्त है
आँखों में नींद नहीं
शब्द हैं मगर
अर्थ नहीं
पीछे दौड़ती हूँ
वक़्त आगे निकल जाता है
ठहरना चाहती हूँ
कोई आगे धकेल देता है
थक रही हूँ
सीढियाँ चढ़ती हूँ
ऊब और खीझ से भरी
वापस उतरने लगती हूँ
©सीमा गुप्ता, पंचकूला, हरियाणा