लेखक की कलम से

बारिश ….

 

बारिश का मौसम है आया

प्रकृति को भी खूब लुभाया

 

शीतलता का रास रचाकर

गर्मी को भी खूब दौड़ाया

 

जल ही जल सर्वस्व लहरा

कागज  की  नौका  तैराया

 

छ्प छपा छ्प का रिद्म सुना कर

मन – तन  में जल  तरंग  बजाया

 

सैंडविच,पिज्जा,बर्गर खिलवाकर

कोका-कोला,कोल्ड-काफी पिलवाया

 

आशा की बूंदों से खिलकर

मन को ताथाथई करवाया

 

ऊब, घुटन, खीझ से  छूटकर

मन का भाव बिभोर हो जाना

 

बारिश का मौसम है आया

प्रकृति को भी खूब लुभाया

 

 

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                           

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