एक पाती प्रेम भरी …
करवा चौथ पर विशेष
हर्षाती सी, मधुमाती सी, जो तूने मुझको वरणा पिया,
धन्य हुई यह मांग मेरी जिसको तूने रंग दिया पिया।
एक दो जन्मों की प्रीति नहीं, जन्मों-जन्मों की ये प्रीति पिया।
निर्झर निर्मल तेरा प्यार सनम, तेरे प्यार में संवर जाऊं मैं पिया।
तेरे सारे दुख ले लूं मैं आंचल में, मेरे सारे सुख में तू भागीदार पिया।
इस जीवन रथ की गाड़ी में, हम दो पहिए है जो पिया।
तेरे जीवन के सारे कष्ट हर लूं सावित्री सा तप करूं मैं पिया।
सीता सी मैं बनूं सहचरी, राधा सी तुझको भाऊ पिया।
तेरा सामिप्य, तेरा सानिध्य, ता उम्र रहे मेरे साथ पिया।
मेरी हर आशा अभिलाषा रोम रोम में बसे तुम हो पिया।
सारे रंग तुझसे इस जीवन के, तुझसे मेरी फुलवारी पिया
महके जीवन, इस जीवन में, खुशबू तेरी सदा महके पिया।
तेरे नाम की मेहंदी लगाई मैंने, तेरी खुशबू से हर अंग महके पिया।
किसी बात की क्यों में फिक्र करूं, जब तुम हो मेरे संग पिया।
सासू मां तेरी ऋणी मैं रहूं, जो ऐसा हीरा दिया पिया।
तेरे नाम की सगरी खाई मैंने, सदा सुहागन रहूं मैं पिया।
तेरे नाम के बिछिया, पायल पहनूं, तेरे नाम की मांग भरी है पिया।
इन आंखों के काजल में तुम, बिंदिया की चमचम तुम हो पिया।
मेरी चूड़ी की हर खनखन जो, जाए तुझ पर बलिहारी पिया
मेरी पायल की हर रूनझुन में, आती तेरी आहट है पिया।
कुंडल चमके, मंगलसूत्र दमके, मेरा हर एक गहना तुम हो पिया।
ओढ़ चुनर तेरे मन को भाऊ, तेरी अर्धांगिनी हूं मैं पिया।
जन्म-जन्म तेरी मैं रहूं, मां गौरा दे ऐसा वर मुझे पिया।
तेरे नाम का करवा चौथ करूं, रहे अक्षत सदा सुहाग मेरा पिया।
©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश