लेखक की कलम से

जिंदगी को राह दिखाती कविता…

 

शब्दों को छेड़ना भर नहीं,

जिंदगी के प्रति,

आदमी का स्नेह है कविता।

संवेदना से परिपूर्ण,

संघर्ष की ऊर्जा से

टूटे दिलों को जोड़ती कविता।

शून्य के खिलाफ,

पूर्णता मेरे ही पक्षधर होती,

नकारात्मकता से टकराती,

मेरे जुनून को हवा में में महल बनाती।

नई पीढ़ियों को जन्म देती

संकल्प नयी दिलाती,

आम अनुभवों की,

मुखर अभिव्यक्ति

विश्वसनीयता से संवाद कराती।

दो दिलों को,

दो मजहब को,

आपस में मिलाती।

जाति-पाति का भेद नहीं,

सबको साथ चलने की राह दिखाती,

 हर दिलों पे राज करती।

परछाइयों की भी पहचान बनाती,

ये कविता,

जो नई राह दिखाती।

©अजय प्रताप तिवारी चंचल, इलाहाबाद

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