लेखक की कलम से
भादवी बयार …
आज कौन सी बात कहूं
पिछले चार वर्षों से आप
पढ़ पढ़ कर ऊब गए होंगे
आशुकविताएं आती हैं
चुपके से मौसम बदल जातीं हैं
अब देखिए महसूस कीजिए
भादो की उमस और अंगड़ाई
जल थल की खबरें घर आई
डूबा है शहर डूबे गांव भाई
राजपथ हो या पगडंडी
पानी पानी जैसे जल भरा हांडी
बाहर भादो भीतर शब्द
बजा देते हैं जलतरंग
©लता प्रासर, पटना, बिहार