लेखक की कलम से

देश विभाजन का सबक …

आज की तिथि को भारतीय इतिहास में ‘कलंक दिवस’ के रूप में द्वारा मनाया जाना चाहिए क्योंकि आज ही के दिन भारत के दो टुकड़े कर दिए गए। इस काले दिवस को हमें इस बात हेतु भी याद करना चाहिए कि हमारी अंग्रेजों के प्रति अंधभक्ति और सत्ता का लालच किस प्रकार से एक देश के सपनों को विभाजित कर सकती हैं। क्या शहीदों ने इसी विभाजन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था? स्वतंत्रता के बाद इस देश को विभाजन की विभीषिका पर गहराई से मंथन करना जरूरी था।

स्वाधीनता प्राप्ति के पूर्व यह दिवस आधी खुशी के साथ देशवासियों को जीवन भर का टीस दे गया। जब एक ही माटी की साझी परंपरा और विरासत को किसी और एजेण्डे के तहत बांट दिए गए। इसका दोहराव न हो इस हेतु हम सभी को सचेत रहना होगा, क्योंकि पाकिस्तान एक दिन में नहीं बना था। सदियों से साथ रहे लोगों को नियोजित विषवमन के साथ बांटने का दुष्परिणाम अविभाजित भारत अपने विभाजन के बाद से ही भुगत रहा है। ब्रिटिशों और यहाँ के गद्दारों ने मिलकर देश बांट दिया, जिसका खामियाजा किस हद तक यह देश, समाज भुगत रहा है, इसके तटस्थ मूल्यांकन की भी आवश्यकता है।

पाकिस्तान धर्म से अधिक अंधी पहचान, सत्ता की भूख का परिणाम था। इसी भूख का दुष्परिणाम है कि पाकिस्तान से भारतीय संस्कृति के सभी प्रतीकों को मिटा दिया गया। यह कौन-सी सोच है जो अपने जन्म के समय से ही अपनी मूल संस्कृति और सभ्यता पर कुप्रहार कर रहा है। आइए कुत्सित भावनाओं के जन्म को रोकें। हम सब मिलकर रहें और किसी और पाकिस्तान का जन्म न हों इसे देखें।

 

©डॉ साकेत सहाय, नई दिल्ली                                       

Back to top button