लेखक की कलम से

नाम पता मिलता नहीं…

जो ना आये काम, रिश्ता वो निभता नहीं

नहीं लगाना दाम, स्वाभिमान बिकता नहीं

 

मन की भाषा बांच, साथ अगर तुझे देना

टूट गया जो कांच, दोबारा जुड़ता नहीं

 

क्यों तुझको है चाह, लोट वो वापस आये

जिसको ना परवाह, पीछे वो मुड़ता नहीं

 

दुश्मन के आ द्वार, कैसे ना वो जंग करे

जीत मिले या हार, वो पीछे हटता नहीं

 

वो करते हैं बात, किसने फेंका है यहां

लावारिस नवजात, नाम पता मिलता नहीं

©शालिनी शर्मा, गाजियाबाद, उप्र

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