सोच की वीथिका …
मेरे मायके की ओर जाने वाली हवा .. .जरा सुनो!
माँ नहीं है वहाँ जो एक हफ्ते पहले ही पास पड़ोस में बिना किसी के पूछे सबको मेरे आने की खबर दे दिया देती थी..
तुम देखो ज़रा
क्या भाई नहा धोकर मेरे इन्तिज़ार में बैठा है?
भाभी ने मां के डर से नहीं
खुद अपनी खुशी से क्या मेरे लिए कुछ मीठा बनाया है?
ए हवा ! तुम कहना भाभी और भतीजे भतीजी से, तकलीफ न करें,
माँ स्टोर रूम में नानी के घर से कनस्तर भर के गुड़ लाया करती थी, शायद एकाध dheli अब भी पड़ी हो!
उन्हें भी अपने भाई के घर जाना होगा..
कहना.. बस ..थोड़ी देर के लिए मां की अलमारी खोल कर उनकी वो पुरानी साड़ियां छू लू.. उनका वो मनपसंद पर्फ्यूम महसूस कर लूं..
.खूंटी पर टंगे सब्जियों के थैलों में उनकी ममता को स्पर्श कर लूं..
Mrs वर्मा के घर सिक्किम की याक वाली पेंटिंग पापा से कहकर कितने मन से मँगवाई थी मां ने..
क्यों उतार दी तुमने.. ?
अब घर मे और छोटे बच्चे आ गए हैं..
तुम बुरा न मानो तो जो तोहफे तुम जाते हुए मुझे दोगे. कुछ कम कर देना इस दफा
और
मेरी गुडियों का वो पुराना बक्सा.. रखवा देना..
अब मेरा आना जाना भी कम ही हो रहा है..
और बचपन के राखी बंधाई की तस्वीरे.
बैडमिंटन खेलते हुए ..
मम्मी से तेल लगवाते हुए.. वो सारी तस्वीरे
पिछली दफा भी कहा था..
इस बार जरूर रखवा देना ..
उल्टे सीधे धागों वाले मेरी पहली cross stitch कढ़ाई वाला मेज पोश भी रखना मत भूलना ..
भतीजे भतीजी आजकल गृह सज्जा की सारी चीजें ऑनलाइन
मंगवाने लगे हैं..
जब तुम .बाहर हूं..कह कर कई दिन तक फोन नहीं करते
तब मैं इन्हें देख देखकर अपना बचपन जी लिया करुँगी..
घर में भाग कर किसी भी कमरे में अब घूम घूम कर नई चीजें नहीं देखती मैं..
भाभी को शायद अच्छा न लगे..
या शायद मेरे मन में ही ससुराल अपना घर हो गया और मायका
भाभी का…l
क्या
भाभी को भी अपना घर अब पराया लगता होगा?
क्या मायके जाकर उसे भी पुरानी
यादे इसी तरह सताती होंगी?
क्या ही अच्छा हो तीज त्योहार के खास दिनों में ननद भाभी बन कर सोचे और भाभी ननद बन कर!
माँ बाप और भाई न कटें..न छंटे. न बंटे…..!
मायका बस
आगामी अतीत बन कर रहे
और ससुराल एक नया वर्तमान..
रिश्तों की कलाई पर बंधे
बस
स्नेह सूत्र..
©सुदेश वत्स, बैंगलोर