लेखक की कलम से

दहेज की रकम कम करते हैं ….

 

सुना है अफसर दूल्हे के दाम बढ़े हैं,

बाजार में उनके कदरदान बढ़े हैं,

बिना दहेज के शादी वाला समझौता

वो कहां करते हैं, भाग्य अच्छा है

तुम्हारी लड़की का ये ढकोसले भी तो

वहीं करते है, दहेज कम मिल रहा हो तो

चालीस की उम्र में भी हां कहां भरते हैं,

हमने रुपया इस (दूल्हे) पर बहुत लगाया हैं,

बड़े-बड़े शहरों में इसे पढ़ाया है,

अच्छा चलो कुछ दाम कम करते हैं,

पहले बिचौलिए के आगे डींगे तो भरते हैं,

तुम्हारी लाडो भी तो सरकारी महकमे लगी है,

इसलिए बातें फिर बराबरी वाली करते हैं,

थोड़ी रकम तुम कम करो थोड़ा समझौता

हम भी तो करते हैं, जो बड़े-बड़े मंचों से

बड़ी-बड़ी जोशीली बातें करते हैं,

उनके घरों के लाडे लाखों करोड़ों से नीचे

कहां रिश्ते तय करते हैं,फिर एक रूपए वाला

दिखावा भी तो सहानुभूति पूर्ण वही तो करते हैं,

चलो दहेज की रकम कुछ कम करते हैं।

 

@कांता मीना, जयपुर

 

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