लेखक की कलम से
गुनगुनी धूप मुबारक
मेरे शब्दों में हो तुम या तुममें मेरे शब्द हैं
इन शब्दों से ही वाक्य है और इसमें हो तुम
कहना सुनना कितना है कैसे ये सब बताऊं
इन शब्दों तुम ही तुम हो कैसे जताऊं!
©लता प्रासर, पटना, बिहार
मेरे शब्दों में हो तुम या तुममें मेरे शब्द हैं
इन शब्दों से ही वाक्य है और इसमें हो तुम
कहना सुनना कितना है कैसे ये सब बताऊं
इन शब्दों तुम ही तुम हो कैसे जताऊं!
©लता प्रासर, पटना, बिहार