ठंड में हाजमा ठीक रखना है तो अमरूद खाइए…
सस्ता होने के कारण अमरूद कभी भारत में गरीबों और मध्यम वर्ग का फल माना जाता था, मगर जबसे आहार विशेषज्ञों ने इसके जादुई गुणों को खोज निकाला है, तब से अमरूद उच्च मध्यम वर्ग और अमीरों की डाइनिंग टेबल की भी शान बन गया है। उत्तर भारत में बहुतायत से होने वाला यह फल यूं तो साल में दो बार आता है, मगर सर्दियों में अमरूद का मजा कुछ और ही होता है। इलाहाबादी अमरूद अपनी मिठास के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में पहले से ही अमरूद को विटामिनों, फाइबर और मिनरल्स का बेहतरीन सोर्स माना जाता रहा है। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में अमरूदों को पेट के लिए मुफीद माना जाता है। भारत में अब अमरूद को मात्र मौसमी फल समझकर ज्यादा तवज्जो न देने का माइंड सेट टूट रहा है।
अमरूद में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ होता है। विटामिन-सी का तो यह सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है। एक स्टडी के मुताबिक इसमें संतरे से पांच गुना ज्यादा विटामिन-सी होता है। फाइबर भी अमरूद में प्रचुर मात्रा में होता है। कैलरी कम और कैल्शियम और आयरन ज्यादा होने के कारण अमरूद सेहत के लिए बहुत मुफीद होता है।खाने में खट्टे और मीठे दोनों तरह के स्वाद से बने इस फल की खासियत यह है कि यह हर आदमी की पहुंच में आने वाला, सहज उपलब्ध फल है… लेकिन गुणों के मामले में यह कई महंगे फलों पर भारी पड़ता है। अमरूद, बिही या जामफल जैसे कई नामों से पुकारे जाने वाले इस फल में विटामिन ‘सी’ कई अन्य सिट्रस फ्रूट्स के मुकाबले 4 से 10 गुना तक ज्यादा होता है। यह विटामिन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। इसमें थोड़ी मात्रा में विटामिन ‘ए’ या कैरोटिन भी होता है। इसमें कई खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में होते हैं।
जितना ज्यादा पका हुआ अमरूद होगा, उतनी ही इन सारे पौष्टिक तत्वों की मात्रा भी उसमें बढ़ी हुई होगी। डॉक्टर्स भी बेहद पके अमरूद को खाने की सलाह अक्सर हीमोग्लोबीन की कमी होने पर देते हैं। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है। इसमें फास्फोरस तथा कैल्शियम जैसे तत्व भी खासी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं।