लेखक की कलम से

दहेज ….

 

पूंजी पति की चाहने दहेज का मांग बाढाया।

दहेज के लोभियों ने बेटीयों की अस्मिता गंवाया।।

 

धन की लोभी धनमे डुब गई।

बेटों की लगानी बहुवों से असुली गई।।

 

ऐसे ही माहामारी आई।

बड़े बड़े विद्वानों ने भी मात खाई।।

 

दहेज में केवल कफ़न ही नहीं मांगते हैं।

दहेज अपने आन-शान से बताएं जातें हैं।।

 

लाखों बेटियों को भी है दहेज ने जलाया।

शुभ विवाह पवित्र बंधन को व्यापार बनाया।।

 

सहित समय में रिस्तो की बुनियाद को ग़लत ठहराया।

ऐसी ही कुरितिओं ने बेटियों को अंधकार में है लाया।।

 

©अस्मिता पटेल, बिरगंज, नेपाल           

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