लेखक की कलम से

हवा का झोंका ….

एक हवा का झोंका

सबकुछ बना सकता

और

सब उजाड़ भी सकता है

 

हवा का झोंका का आना

ही सौभाग्य है तुम्हारा

 

वो तुम्हें जीवन देता है

गति प्रदाता है

दिशाओं में विचरण करवाता है

जमीन पर खड़ा

और

आसमान को छूने योग्य बनाता है

 

हवा का रहना अनिवार्य है

मस्तिष्क की नसों में

ही नहीं

अंग-प्रत्यांग को सक्रिय

और जीवंत बनाता है

 

हवा का झोंका गर

साथ रहे तो

उम्मीदों की “जहाँ”

आबाद होती हैं

आशाओं के सितारे

जगमगाते हैं

 

 

वही तो है

जिसके रहते से हम हैं

यदि नहीं

तो अस्तित्व माटीमय

होते देर नहीं

लगती

 

तो हो सके तो गढ़ो

अपने को बस

हवा का एक झोंका

बना

जीवन दो…..

 

 

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                            

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