लेखक की कलम से
हसीन इत्तेफाक …
नींद है, ख्वाब है, हक़ीक़त है ।
तेरा अहसास बहुत खूबसूरत है।
और किस चीज़ की ज़रूरत है ।
नज़र ने नज़र को देखा••••
गुफ़्तगू क्या हुई परिंदों मे,
शाख़ समझी नहीं, गनीमत है ।
चिठ्ठियों के जवाब लिख डालूँ,
आज कुछ तल्खियों से फ़ुरसत है ।
मिलना हयाते किस्मत का एक रोज
इत्तेफ़ाकन मिले थे हम लेकिन
अब जो बिछड़े तो बस क़यामत है ।
ये जो सामान है मेरे घर में
मेरी ख़्वाहिश नहीं, ज़रूरत है ।
ये ख़ुशी भी है क्या ख़ुशी सुख ,
ये भी एक शख़्स की अमानत है ।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा