जादु री छड़ी घुमादो …
अजी जादूगर साहब जी जादूरी छड़ी घुमादो ।
अजी जादूगर जी शिक्षा विभाग रे
माथे भी जादुई छड़ी घुमादो।
अबके जादू से सगला मास्टरा रो तबादला करवादो।
ऐस ऊनाळे में म्हाने भी म्हाखे घर भिजवा दो।
आस बांधता बांधता जीजी चलगी बाढ़ जोततो जोततो दादो चलगो। परदेसा में पड़या
पड़या बीस पच्चीस साल निकल गया।
मोटी रकम भी बिचौलिया निगल गया ।
अजी जादूगर साहब जी जादु री छड़ी घुमादो।
दिवाली रा दीप भी जलगा,होली रा रंग भी पाणी घुल गया।
अकेला रहता रहता म्हाखे
टावर टिंगर भी अपने आप संभलगा।
हिवडै ने आस बंधाता बंधाता म्हारे तृतीय श्रेणी शिक्षकों रा घणा दिन निकलगा।
थे सो राजस्थान रा सिरमोर थाको जादू चाले चारों दिशाओं में पुरजोर
ओज्यू जादू रा मेला में थाको ही जादू चलवासा।
राजगद्दी रे माय थानै ही बिठासा।
थे म्हाकी अरदास मानलो
सगला मास्टरा री विनती स्वीकार लो।
अजी जादूगर साहब जी जादुरी छड़ी घुमादो
अबके म्हाको तबादला करवा दो।
©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान