लेखक की कलम से
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं …
हिंदी दिवस ये एक दिवस में नहीं सिमट कर रह जाना चाहिए। हर दिन हर पल संकल्प लेने का विषय है यह। यह ऐसे संकल्पों का दिवस है जिस दिन हमें हिंदी के कमजोर पक्षों की समीक्षा कर उसे सुधारने की कवायद करनी चाहिए।हिंदी के प्रति संकीर्ण नजरिये को बदलने के लिए जनजागरुकता अभियान को गति देनी चाहिए।
कोई भी भाषा अनुपम साहित्य की दलील देकर राष्ट्रभाषा नहीं बन सकती । इसे रोजगार, ज्ञान-विज्ञान और संचार की भाषा भी बनाना होगा। हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उस के प्रचार-प्रसार की दिशा में कदम बढ़ाना होगा ।भाषायें और माताऐं अपनी संतानों से ही नाम पाती हैं ऐसे में हिंदी की संतान होने के नाते हमारा दायित्व है कि भारत देश की राष्ट्रभाषा के तौर पर उसे प्रतिष्ठित करने की दिशा में हम अपना योगदान दें ।…???
©अनुपम अहलावत, सेक्टर-48 नोएडा