लेखक की कलम से
बेटियाँ …
घर के तुम हो प्यारी राजदुलारी,
बाबुल के उस दिल मे बसती,
ओ पायल की झंकार तुम्हारी,
शीतल कोमल भाव है न्यारी,
ओ प्यारी बेटियाँ,ओ प्यारी बेटियाँ ||
शंख ध्वनि तुम संध्या के,
घर की गीता कुरान हो,
दहलीज की आस प्यारी,
तुम गले की हार हो बेटी,
ओ प्यारी बेटियाँ,ओ प्यारी बेटियाँ ||
आँगन की हो चाँदनी,
शीतल छाँव प्रकाश तुम,
दो कुलो को है तारती,
मयार्दा की खान हो,
ओ प्यारी बेटियाँ,ओ प्यारी बेटियाँ ||
ज्ञान की हो लौ पुंज तुम,
नैय्या की पतवार हो,
बाबुल की ओ लाडली प्यारी,
वसुंधरा की अनुपम उपहार हो,
ओ प्यारी बेटियाँ,ओ प्यारी बेटियाँ ||
©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़