नया आगाज़
आओ चलो नई शुरुवात करें
छोड़ दें उन पलों को
जिनसे ग़म के सागर में हमें डुबोया
फिर भी सीप में जैसे मोती छिपी होती है
दिल में न जाने कितने दर्द छिपे होते हैं
उन गमों को छुपाकर
हंसने का नाम ही तो जिंदगी है
कारवां चलता है
हमें रास्ता दिखाता है
सुनहरी धूप जैसे कुछ कहती है
बांट लो दर्द अपना
देकर खुशी तुम सभी को
समस्याएं तो आती रहेंगी
पतवार अपनी तुम खुद पकड़ो
जब तक मौसम है
फूल खिलते रहेंगे
नज़रों के धोखे से हमें बचना है
कुसुमित पथ अपनों का करना है
बरसात होने से पहले
बादल तो गरजते हैं
जीवन में भी बादल आएंगे
हमें आजमाने की कोशिश करेंगे
होना है तैयार हर युद्ध के लिए
झांसी की रानी हो या
महात्मा गांधी
सुभाष चन्द्र बोस हो या
गौतम बुद्ध
हर एक ने जीवन में संग्राम किया
सत्य, शांति, अहिंसा और परोपकार
इनसे मानवता की प्रतिष्ठा की
लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया
सीप से मोती चुन लो
इसका है आगाज़ किया।।
©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा