लेखक की कलम से

महिलाओें को एकजूट होने की जरूरत …

सुबह की मुलाकात में

तू तू मैं मैं हो रहा

यात्री टीटीई के बीच

दोनों की गलती नहीं

रहे बात को खींच

रहे बात को खींच

टिकट मासिक सामान्य का

चलो उठो उतरो गाड़ी से

मुट्ठी रहे भींच

मुंह ताकते एक दूसरे का

दैनिक यात्री लोग

गिनती का सामान्य रेल

फिर कैसे करे कोई मेल!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार                

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