लेखक की कलम से

आंदोलन का रास्ता …

 

आंदोलन का मकसद केवल अधिकार की लड़ाई हो।

जनहित सहित न्याय व्यवस्था पर एक भी न गाली हो।।

 

आंदोलन की कथा पुरानी अलग अलग योद्धा का गाथा है।

ऋषि मुनियों की आत्मसिद्धि का गाता हुआ जो गाथा है।।

 

उनके आंदोलन का लोहा माना जिसने रचा पूरा संसार।

इस धरती पर गंगा देकर लोहा माना जिसने रचा पूरा संसार।।

 

आंदोलन का नव प्रमाण बना  इस घोर कलयुग में।

गांधी जयप्रकाश और लोहिया ने गाथा दुहराया कलयुग में।।

 

फिर अन्ना का आंदोलन आया जन जन में अलख जगा।

लेकिन इसको कुछ दुष्ट ने अपना इसे पैतृक संपत्ति समझा।।

 

भरोसा टूटा आंदोलन से लोगों में जगा अविश्वास।

आंदोलन के पीछे छिपे मुखोटों को जनमानस ने पहचाना आज।।

 

जब आंदोलन का मकसद केवल साधना हो निज स्वार्थ।

आंदोलन का हवा निकलता जैसे निकला हाल फिलहाल।।

 

आंदोलन में जब घुसपैठ हो गंदी और वाहियात विचार।

देश समाज को तोड़ने की मन में बैठा हो वाहियात विचार।।

 

तब खतरा बनकर आता है देश के लिए ऐसे आंदोलन की बात।

देश धर्म के लिए जरूरत नकेल कसें ऐसे कुंठित विचार।।

 

जरूरत जन जन में जागे अब क्रांतिकारी विचार।

अच्छे बुरे का अंतर कर आंदोलनकारी बने पूरा समाज।।

 

 

©कमलेश झा, शिवदुर्गा विहार फरीदाबाद

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