लेखक की कलम से

ये जिंदगी है …

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

 

मां का लाड़ पापा का दुलार में जिंदगी हमने गुजारी है,,,

भाई का प्यार और लड़ाई में बचपन की यादें संभाली है,,,

दोस्तों की यारी से जिंदगी खुशहाल हमारी है ,,,

 

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

 

सबके प्यार ने यूं जिंदगी सवारी है,,,

जैसे जाग गई हर ख्वाहिश हमारी है ,,,,

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

जिंदगी चलती गाड़ी है ,,,,

 

थम भी जाय जिंदगी की गाड़ी जब ,,,,

तब हमने पूरी जिंदगी गुजारी है ,,,,

प्रज्ञा शिवहरे, शिवपुरी, मध्यप्रदेश

 

  ©प्रज्ञा शिवहरे, शिवपुरी, मध्यप्रदेश   

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