लेखक की कलम से
बचकर रहना …
मेरे दोस्त ! मुझ से बचकर रहना
सीख रही हूँ आजकल
हर किसी को मूर्ख बनाना
मीठे बन कर छुरी चलाना
सबसे काम निकलवाना
किसी के काम न आना
मेरे दोस्त ! मुझ से बचकर रहना
सीख रही हूँ आजकल
सरेआम धोखा देना और
सफाई से मुकर जाना
नफरत दिल में रखना
बहुत प्यार से मुस्कुराना
मेरे दोस्त !
सीख रही हूँ आजकल
आस्तीन का साँप होना
और खुद को हमदर्द बताना
बात -बात पर झूठ बोलना
कहानी हरीशचंद्र की सुनना
मेरे दोस्त !
सीख रही हूँ आजकल
रिश्तों में खेल खेलना
पैरों तले की ज़मीन खिसकाना
ठग्गी में माहिर होना और
वाक-छल से सबको हराना
मेरे दोस्त !
चाहती तो नहीं तुम्हें खोना
मगर दूर तलक है मुझे जाना
ज़माने के हुनर सीखना -सिखाना
क़ामयाबी की कुर्सी पर इतराना
मेरे दोस्त !
मेरे दोस्त !