लेखक की कलम से
सलोना बचपन ….
फूलों का खिलना, तितली पकड़ना
बचपन की यादों का फिर से सँवरना ।
परियों के किस्से, गुड़ियों की ड़ोली
सखियों के संग आँख-मिचौली
जाड़े का मौसम, भीनी सी मिट्टी
ख्यालों के आँगन में अल्हड़ सी मस्ती ।
फूलों की चादर, ओंस का बिछौना
नन्ही सी चाहत का अम्बर पे उड़ना ।
” प्रियतम ” के सपने, अधूरी सी ख्वाहिश
सच्चे से साथी का मुझसे बिछुड़ना ।
सांझ और सवेरा, पक्षियों का ड़ेरा
चंचल हवाओं में शरारतों का बसेरा ।
बचपन की यादों का फिर से सँवरना
©आरीनिता पांचाल, कोटा, राजस्थान
परिचय :शिक्षा- एमए, बीएड, रुचि- लेखन, पेन्टिंग, संगीत, व्यवसाय- अध्यापन, साहित्यिक विवरण- विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएँ, साझा काव्य संकलन- चित्रगंधा, रत्नावली, कलम चलने दो, स्पर्धा आदि में संकलित रचनाएँ व अनेकों सम्मान।