लेखक की कलम से

खुद के पास रहने दो …

ना छेड़ो कोई बात , आज उदास रहने दो,,,
ना आओ साथ आज , खुद के पास रहने दो,,,

गहराई गम की कितनी है , उसमे उतर कर आऊं,,,
जीने का तर्ज क्या है , जवाब इसका पाऊं,,,
अपनी ही मुट्ठी में मेरा विश्वास रहने दो,,,

ना छेड़ो कोई बात , आज उदास रहने दो,,,
ना आओ साथ आज , खुद के पास रहने दो,,,

आती जाती सांसो की लय को पहचान लूं,,,
चाहत है मेरी क्या खुद से ही जान लूं,,,
बढ़ती बैचेनी का थोड़ा सा एहसास रहने दो,,,

ना छेड़ो कोई बात , आज उदास रहने दो,,,
ना आओ साथ आज , खुद के पास रहने दो,,,

 

 

  © इंजी. सोनू सीताराम धानुक, शिवपुरी मध्यप्रदेश   

 

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