लेखक की कलम से
कोरोना हर काल …
कोरोना हर काल बनके, तांडव करत हे भारी ।
दुनियाभर मा संकट छागे, बन अलकरहा बीमारी।।
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- घेरी-बेरी करिन सफाई ।
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घर मा दुबको भाई ।
आपन रक्छा आपन भलाई।
झन मानव मीत मिताई ।
मनखे बनगिन नट ,
कोरोना बनिस मदारी ।।
दुनियाभर मा ……..
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- सुन्ना होगे गली- चौगान ।
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लइकन मन के मरे बिहान ।
मुकुर-मुकुर खिड़की ले झाँकें।
मुसवा अस गली ला ताकें ।
दाई ददा ल करे ल परगे ,
लइकन बर थानेदारी ।।
दुनियाभर मा……..
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- साकाहारी बन जाइन ।
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जप -तप मा धियान लगाइन ।
सासन के साथ निभाना हे ।
कोरोना ला हराना हे ।
कोरोना बर अंगरा कस धधकी,
अक्कल के गोबर ला टारी ।।
दुनियाभर मा ……
कोरोना हर काल ……
दुनियाभर मा…..
©रानी साहूरानी, मड़ई (खम्हरिया)