सिरागे घर के नून …
मैं गावत हों ददरिया, तै कान दे के सुन-2
ये भरे कोरोना म, सिरागे घर के नून।।
कइसे चलही अब जिनगी, राम जाने…2
हाय रे, कइसे चलहि अब जिनगी…
जेती देखबे तेती संगी, एके गोठ ह छागे-2
ममादाई काहत हावय, नून ह सिरागे।।
कइसे मिठाहि दार भात, बिना डारे नून…
कइसे चलहि …
दुब्बर बर दू आषाढ़, जइसन येहा आगे-2
गरीब मन के टोटा ह, देख तो सुखागे।।
मिरचा के झोर म, कहाँ ले डारबो नून…
कइसे चलहि अब जिनगी…
पेज पसिया पी के संगी, काम ल चलावन–2
साग पान नई राहय त, नून मिरचा म खावन।।
अमली के लाटा म, कहाँ के मिलाबो नून…
कइसे चलहि अब जिनगी…
गांव गंवई के नून संगी, शहर के हरे नमक-2
बिन नून के जिनगी म, कइसे आहि चमक।।
कइसे चलहि गृहस्थी ह, जिहां नई रही नून…
कइसे चलहि अब जिनगी…
जियादा मीठ खाबे त, बीमारी ह झपाथे…2
नूनछुरहा गोठ संगी, सबो ल सुहाथे ।।
यहा कोरोना म कइसे, बिसाबो हम नून…
कइसे चलहि अब जिनगी, राम जाने।।
हाय रे, कइसे चलहि…
©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)