लेखक की कलम से

शीतल सुप्रभात

 

किसी की आकांक्षाओं पर खरा उतरना बहुत कठिन शगल है

अभिलाषा सबके अंदर

पनपता रहता है कि

हर कसौटी पर खरा उतरूं

जिंदगी की कशमकश में

गुनाह और गुमराह का

भंवर मंडराता रहता है

सिकंदर वही बनता है

जो इनसे मुठभेड़ करना सीख जाता है!

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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