लेखक की कलम से

नई उमंग, नई उम्मीदें, नया उल्लास लेकर आए वर्ष 2022 …

 

 

“अधर मौन और नेत्र सजल है,

मन इतना क्यों आज विकल है।।

 

उम्मीदों की डोर बांध ले,

मन हारे तो, श्रम निष्फल है ।।

 

लक्ष्य साध,चल राह कठिन है,

किन्तु आगे ही प्रतिफल है ।

 

शब्द कोष में क्या ढूंढे तू ,

निज प्रश्नों का खुद ही हल है !

 

कलियों के संग कांटे भी चुन ।

“सुख-दुख संग”, यह सत्य अटल है ।।

 

परिवर्तन तो सृष्टि का क्रम ,

कल बीते, फिर आता कल है ।

 

नए वर्ष की भोर सुनहरी,

नव सूरज का उगता पल है !

 

रख मन में विश्वास अडिग तू ,

जीवन तेरा तभी सफल है !

 

@रेणु नलिन बाजपेयी

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