लेखक की कलम से

जीवन होली …

कब तक बचाओगे दामन

ज़िंदगी है होली ,दाग लगेंगे

उछाले कोई कितना कीचड़

गुलाल है ज़िंदा,गुलाल लगेंगे

ज़िंदगी के रंगों में रंग सभी

कैसे सोचते हो दो-चार लगेंगे

हर रंग का अपना है मतलब

नज़र बदलो सभी गुलाब लगेंगे

ख़्वाबों में रहोगे अगर ज़िंदा

सभी रंग ख़्वाब लगेंगे

हर प्रश्न का उत्तर है ज़िंदगी

ढूँढोगे अगर सब जवाब लगेंगे

समेट लो अपने दामन में

रंग खट्टे -मीठे स्वाद लगेंगे

नज़र प्यार भर अगर देख लोगे

रंग सभी इंसान लगेंगे

ज़िंदगी है होली दाग लगेंगे

गुलाल है ज़िंदा गुलाल लगेंगे

रंग सभी इंसान लगेंगे

 

©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़               

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