लेखक की कलम से

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी …

 

 

जो लिखूँगी वो यथार्थ लिखूँगी…..

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी…

वर्तमान में व्याप्त व्याधि का….

पूरा का पूरा चरितार्थ लिखूँगी….

 

नियति ने यह कैसी चाल चली….

समय के रथ पर काल सवार….

योद्धा भी सब हार गए हैं….

मार नहीं पाया कोई हथियार…..

बन के सारथी कान्हा आओ…..

हर योद्धा को मैं पार्थ लिखूँगी….

 

जो लिखूँगी वो यथार्थ लिखूँगी…..

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी….

वर्तमान में व्याप्त व्याधि का….

पूरा का पूरा चरितार्थ लिखूँगी….

 

रावण से ज्यादाताकतवर……

कौन हवा में है स्वच्छंद ?…….

कैसी है यह लक्ष्मण रेखा…….

जिसमें बंध कर राम है बंद ?…..

युग के इस परिवर्तन को……..

नियति का निहितार्थ लिखूँगी……

 

जो लिखूँगी वोयथार्थ लिखूँगी……

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी…..

वर्तमान में व्याप्त व्याधि का….

पूरा का पूरा चरितार्थ लिखूँगी….

 

देवदत्त फिर से निकला है……

करने के लिए आखेट यहांँ…..

उड़ते-फिरते नभ के पंछी……

खाता उनको, भरपेट यहाँ……

जग-तारक, संताप-निवारक…..

हर योगी को सिद्धार्थ लिखूँगी….

 

जो लिखूँगी वो यथार्थ लिखूँगी…..

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी…..

वर्तमान में व्याप्त व्याधि का….

पूरा का पूरा चरितार्थ लिखूँगी….

 

मानव की सेवा से बढ़ कर…..

बोलो, जग में क्या है काम…..

हाथ बढ़ा कर आगे आओ……

हाथों को लो तुम भी थाम……

इन हाथों को, हाथ जोड़ कर…..

सौ-सौ मैं कृतार्थ लिखूँगी……

 

जो लिखूँगी वो यथार्थ लिखूँगी…..

मैं, जीवन का भावार्थ लिखूँगी….

वर्तमान में व्याप्त व्याधि का….

पूरा का पूरा चरितार्थ लिखूँगी….


   ©अलका अग्रवाल, आगरा    

परिचय :- जन्म तिथि:- 25/09/75, शिक्षा:- बी.एस.सी, बी.एड, प्रकाशित पुस्तकें:- मैं और मेरी कविता, बोलते चित्र व विभिन्न लेख, कहानी और कविताएँ। सम्मान : पुस्तक बोलते चित्र को द्वारिका प्रसाद सक्सेना स्मृति सम्मान द्वारा सम्मान मिला।

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