लेखक की कलम से

मैं रहूं न रहूं ….

 

जिंदगी का साथ जिंदगी से

जिंदा रहे हम, रहे जब तक

हमारा हौसला जिंदा रहे

मैं रहूं न रहूँ।

 

वक्त ने माना हमारे बीच

रख दी दूरियां बनाकर

हों दिलों में रास्ता, तो जिंदा रहे

मै रहूं न रहूँ।

 

ऐ मेरे अपनो तुम्ही  ने दी

मुझे जिंदादिली, मैं अगर जिंदा

रहूं, तू भी सदा जिंदा रहे

मैं रहूँ न रहूँ।

 

प्यार से सुलझाइये,

हल गुत्थियां सुलझ जाएगी

जब तलक संसार है ये

फलसफा जिंदा रहे

मैं रहूँ न रहूँ।

 

मेरी कविता,रहेगी

मेरे दोहो की ताल भी

गीत मेरे की सुरताल भी

और गजल की खनक भी

मैं रहूं न रहूं।

 

मेरा कहा जिंदा रहे

मेरा लिखा जिंदा रहे

मै तुममे जिंदा रहूँ

बस ये तम्मना रहे

मैं रहूँ न रहूँ।

 

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद                                             

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