लेखक की कलम से

नारी पुरुष की पूरक सत्ता …

 

नारी पुरुष की पूरक सत्ता है। वह मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत है, उनके बिना पुरुष का जीवन अपूर्ण है। हमारे इतिहास में अनेकों ऐसे उदाहरण हैं, जहां स्त्री के चरित्र उनके मान – सम्मान और उसकी शक्ति, त्याग,बलिदान की ऐसी गाथाएं हैं जिन्हें पढ़कर हम गौरवान्वित होते है।

हमारा देश भारत, पूरे विश्व में सदियों से अपनी महान संस्कृति के लिए जाना जाता है।नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय पूरे विश्व का पहला विश्वविद्यालय था, जहां विश्व के अनेक देशों से छात्र यहां ऊंची शिक्षा के लिए आते थे, तब हमारा देश संस्कृति की ऊंचाई की पराकाष्ठा पर था। वैदिक युग में नारियों की स्थिति बहुत ही अच्छी थी। उस समय उसे देवी, सहधर्मिणी, अर्धांगिनी, सहचरी माना जाता था। उस समय नारियों को हर क्षेत्र में जाने की अनुमति थी। यहां तक कि वे युद्ध- कौशल भी सीखती थी। उन महान नारियों के नाम थे – सावित्री देवी फूले, अपाला, घोषा, सरस्वती, सर्पराग्यी, सूर्या, अदिति, लोपा मुद्रा, विश्ववारा, आत्रेयी आदि नारियों ने उस काल में अपनी ख्याति प्राप्त की थी। उपरांत में 19वीं शताब्दी में रानी लक्ष्मीबाई का नाम तो आप लोगों ने सुना ही होगा। मतलब यह कि भारत- पुराण में नारी महान की कोई कमी न थी।

पर, नारियों की स्थिति वेद काल से आधुनिक काल तक उनके अधिकार में परिस्थिति के अनुसार काफी बदलाव आया। इस बदलाव का मुख्य कारण था भारत पर कितने ही विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किए उसके उपरान्त उन सबने भारत पर अपनी संस्कृति थोपने के भरसक प्रयास किये,साथ ही भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने के बहुत ही प्रयास किए और काफी हद तक कामयाब भी रहे। उन्होनें नारियों से उनके बहुत ही अधिकार छीन लिए, उन्हें पर्दे में रखा जाने लगा। यहां तक कि उन्हें शिक्षा पर भी रोक लगाया जाने लगा इस तरह धीरे-धीरे नारियों को कितने ही अधिकारों से वंचित रखा जाने लगा था। वैसे, अभी भी कहीं – कहीं पिछड़े जगहों पर नारियों पर तरह -तरह के अत्याचार हो रहे हैं, बाल -विवाह, दहेज उत्पीड़न, बलात्कार इत्यादि। इनकी बेहतरी के लिए बहुत ही प्रयास होने चाहिए।

पर, जैसे-जैसे आधुनिक भारत की तरफ हम लोग बढ़े हैं, तब उनकी स्थिति में सुधार आने लगा। आज के भारत में नारियों की स्थिति बेहद अच्छी हो गई है। अपवाद में कहीं पिछड़े जगहों पर उनकी स्थिति खराब हो सकती है, पर आज के दौर में नारी बहुत ही आगे निकल चुकी है। आज कोई भी विषय नारी से अछूता नहीं रह गया है। सभी क्षेत्रों यानि डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, अफसर,वैज्ञानिक, सेना, पुलिस फिल्म, पायलट और खेल में स्त्रियां अपना स्थान बना चुकी

हैं। आज वह हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कदम से कदम मिलकर चल रही हैं। वह घर और दफ्तर दोनों ही खुशी पूर्वक संभाल रही हैं।

अब वह दिन दूर नहीं जब सभी स्त्रियां साक्षर होंगी। भारत के लिए इससे अच्छी और कौन सी बात हो सकती है। स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक है, दोनों ही एक गाड़ी के दो पहिए हैं, उन दोनों पहिए से एक भी पहिया अगर खराब हो जाए तो गाड़ी नहीं चलती है, ठीक उसी तरह स्त्री और पुरुष पुरुष दोनों को साथ – साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा, तभी भारत का भविष्य उज्जवल हो सकेगा।

 

©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश                                 

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