लेखक की कलम से

भूख और मजदूर …

कोरोना काल में असली योद्धा, भाग-१

कोरोना काल में मजदूर दिवस पर ऑक्सीजन प्लांट में लगे मजदूरों की सच्ची घटना से प्रेरित कहानी

#भूखवमजदूर

अरे क्या हुआ तुम लोगों को लंच समय में भी आप लोग काम में लगे हो, चलो पहले सब रोटी खा लो तब आकर काम पर लगना फैक्ट्री मैनेजर शुभम ने सभी मजदूरों से कहा तो…

यूसुफ ने जवाब दिया साहब जी हम मजदूर हैं रोटी के लिए काम जरूर करते हैं, लेकिन आज हमारी रोटी की भूख इतनी जरूरी नहीं, जितनी कि अस्पतालों में पड़े मरीजों को ऑक्सीजन की…

 ऑक्सीजन की है, रोटी तो हम लोग दो चार घंटे आगे पीछे खा ही लेंगे, कुछ फर्क नहीं पड़ता सहाब जी, पर यदि हम बिना रुके काम करेंगे तो ज्यादा ऑक्सीजन बना पाएंगे और कुछ लोगों को तो ऑक्सीजन सही समय पर मिल ही जाएगी।

 उसकी इस बात का समर्थन करते हुए उसकी साथी मजदूर राम सुख व धर्मपाल सिंह आदि ने भी खुलकर कहा हम मजदूर हैं साहेब सिर्फ मजदूरी हमारा धर्म है। चाहे हम पैसे धन दौलत से मानवता की मदद ना कर पाए, लेकिन शायद एक वक्त की रोटी छोड़ कर कुछ एक लोगों की जान अवश्य बचा पाएंगे सहाब जी।

 उनकी बात सुनकर शुभम सोचने लगा एक तरफ ये मजदूर लोग हैं, जो इंसानियत का अच्छा सबक सिखाते हैं, दूसरी ओर कुछ समर्थ लोग हैं जो इस गंभीर संकट, आपदा, महामारी में भी चोरी कालाबाजारी से बाज नहीं आते। शायद इन सच्चे मजदूरों जैसे लोगों के बल पर ही आज भी ये मानव सभ्यता टिकी है…

.इस कहानी द्वारा मेरी सभी लोगों से हाथ जोड़कर विनती है सभी अपने सामर्थ्य अनुसार मानवता की रक्षा करें जितना बन पड़े दूसरे की मदद करें क्योंकि ईश्वर सब देखता है और मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। किसी की मदद के लिए पैसों का होना ज्यादा मायने नहीं रखता, इच्छा का होना जरूरी है। एक दूसरे का हौसला बनाए रखें, सकारात्मक माहौल का निमार्ण करें।

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश          

Back to top button