लेखक की कलम से
मंथन …
आगरा का पेठा, गोंद के लडडू,
गाजर का हलवा, मक्खन बड़ा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन,
जलेबी, कलाकंद, नारियल बर्फी, खीर, नानखटाई, 50 तरह के पेडे, काजू कतली, रसमलाई, सोहन हलवा, बूंदी, मावा बरफी,
20 तरह के श्रीखंड, मीठी लस्सी, पूरण पोली, आम का रस, गोल पापड़ी, मोहन थाल,
मोहन भोग, सक्कर पारा,
तिलगुड़ के लड्डू, बेसन के लड्डू, अनेक प्रकार का हलवा, 20 तरह के सूखे मेवे की बर्फी, रबड़ी, दूध का शर्बत,
चूरमा, घेवर, फीणी, खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी, पचासों तरह की गज़क जैसी हज़ारों शुद्ध मीठी चीजें जिस देश के लोग बनाना और खाना सदियों से जानते हों।
उस देश में “चॉकलेट-Day” मनाना और “कुछ मीठा हो जाये” कह के करोडों की चॉकलेट बेच के विदेशी कम्पनियों का करोड़ों रूपया कमा लेना ये दर्शाता है कि……..
हमारा कितना बौद्धिक और नैतिक पतन हो गया है……..!
©डॉ. सोमनाथ यादव, बिलासपुर, छत्तीसगढ़