मध्य प्रदेश

वन विभाग का काम नौकरी नहीं, धरती बचाना है: सीएम शिवराज सिंह चौहान

दो दिवसीय आईएफएस मीट 2023 का शुभारंभ, सीएम बोले- पुराने वनों के संरक्षण के साथ नए वनों का विकास जरूरी

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि कोविड के कठिन काल के बाद यह आईएफएस मीट हो रही है। मैं आप सब को बधाई देता हूं, कोविड के उस कठिन काल में जनता को मदद करने में वन विभाग ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रदेश को आप सब पर गर्व है। फॉरेस्ट विभाग का काम नौकरी नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती बचाना है। जंगल है, तभी धरती पर हर्ष, उल्लास, आनंद है।

श्री चौहान आज यहां प्रशासन अकादमी में शुरू हुई दो दिवसीय आईएफएस मीट 2023 में अपना संबोधन दे रहे थे। चौहान ने आज से शुरू इस मीट का शुभारंभ किया। इसमें आईएफएस (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) के ऑफिसर्स अपनी फैमिली के साथ शामिल हुए। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले कहा कि एक ही चित तत्व हम सब में है, एक ही चेतना हम सब में अधिसूचित है, यही भारत की संस्कृति का सार है। वृक्षों में भी यही चेतना है। कई तरह के प्रयोग हुए, जिसमें फलों से लदे पेड़ों को संगीत सुनाए गए, तो उनमें गजब की ग्रोथ और उपज में वृद्धि देखी गई।

हम बाघधानी हैं, चीताधानी भी बन गए, विलुप्त हो रहे गिद्ध बचाने में भी हम सफल हुए

इस अवसर पर आयोजित वानिकी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मप्र बाघधानी है इसे टाइगर स्टेट  का दर्जा मिला हुआ है। हम वल्चर स्टेट, लेपर्ड और घड़ियाल स्टेट भी हैं। अब हम चीताधानी भी बन गए हैं। पन्ना में बाघों का पुर्नस्थापन प्रदेश की बड़ी उपलब्धि है। हमारे यहां 2007-2008 में बाघ बचे ही नहीं थे। आज पन्ना बाघों से गुलजार है। हमने गिद्धों की प्रजाति बचाने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। श्री चौहान ने कहा कि इन सफलता की कहानियों की शॉर्ट मूवी बनाओ। जो वन के विनाश के कारण माफियाओं को कुचल देना एक उपाय है। लेकिन, वन में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका चलाते हुए हम आगे बढ़ें।

मुख्यमंत्री बोले: पुराने वनों के संरक्षण के साथ नए वनों का विकास जरूरी

भारत ने हजारों साल पहले जो कहा, उसे आज दुनिया मान रही। भारत ने कहा कि प्रकृति का दोहन करो, शोषण नहीं। फल को तोड़ना दोहन है और पेड़ को ही काट दो, तो यह शोषण है। मैं वन विभाग को बधाई देता हूं कि आपने लगभग 1400 वर्ग किमी सघन बढ़ाने का काम किया है। हमें पुराने वनों के संरक्षण के साथ नए वनों के विकास के लिए प्रयास करते रहना है। उन्होंने कहा कि मैं प्रतिदिन पौधरोपण करता हूं और मेरे इस अभियान में अनेक लोग सहभागिता करते हैं। मुझे खुशी है कि अंकुर अभियान से जुड़कर लगभग 67 लाख से अधिक लोग अब तक पौधे लगा चुके हैं।

पशु-पक्षियों और नदियों की सुरक्षा करना हमारा परम दायित्व: सीएम

भारत का दर्शन ‘जियो और जीने दो’ का है। हमारे यहां पशु-पक्षियों में भी एक ही चेतना मानी गई है। इसलिए भारत में देवताओं के अवतार भी पशुओं के रूप में हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सोच है कि वन प्राणियों के बिना धरती टिक नहीं सकती। नदियों के बिना जीवन नहीं चल सकता, इसलिए हम नदियों को माता कहते हैं। पशु-पक्षियों और नदियों की सुरक्षा करना हमारा परम दायित्व है। इस अवसर पर वनमंत्री विजय शाह, एसीएस वन जेएन कंसोटिया सहित बड़ी संख्या में वन अधिकारी और उनके परिवार उपस्थित थे।

वन बल प्रमुख रमेश गुप्ता ने बताई विभागीय गतिविधियां और उपलब्धियां

इस अवसर पर वन बल प्रमुख रमेश गुप्ता ने  बताया कि कूनो पालपुर में चीता प्रजाति का पुनर्स्थापन कर एमपी विश्व का पहला राज्य बन गया, जिसने चीता का अंतरमहाद्वीपीय पुनर्स्थापन किया। वन विभाग ने राष्ट्रीय उद्यानों से विस्थापित 41 ग्रामों के बसाहट स्थलों के 5916 हेक्टेयर क्षेत्र की वन भूमि डिनोटिफाई कर नए राजस्व ग्राम बनाए। वहीं, चंबल राष्ट्रीय अभ्यारण के 207 हे. क्षेत्र में अभ्यारण सीमा के बाहर लंबे समय से स्थानीय ग्रामीणों की मांग अनुसार करेरा अभयारण्य को समाप्त किया गया। उन्होंने बताया कि दो अभयारण्य डॉ. भीमराव अम्बेडकर सागर और सोनेवानी अभयारण्य बालाघाट तथा एक टाइगर रिजर्व वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य सागर बनाने का निर्णय।

चीता का अंतरमहाद्वीपीय पुनर्स्थापन कर एमपी विश्व का पहला राज्य बना

इस अवसर पर वन बल प्रमुख रमेश गुप्ता ने  बताया कि कूनो पालपुर में चीता प्रजाति का पुनर्स्थापन कर एमपी विश्व का पहला राज्य बन गया, जिसने चीता का अंतरमहाद्वीपीय पुनर्स्थापन किया। वन विभाग ने राष्ट्रीय उद्यानों से विस्थापित 41 ग्रामों के बसाहट स्थलों के 5916 हेक्टेयर क्षेत्र की वन भूमि डिनोटिफाई कर नए राजस्व ग्राम बनाए। वहीं, चंबल राष्ट्रीय अभ्यारण के 207 हे. क्षेत्र में अभ्यारण सीमा के बाहर लंबे समय से स्थानीय ग्रामीणों की मांग अनुसार करेरा अभयारण्य को समाप्त किया गया। उन्होंने बताया कि दो अभयारण्य डॉ. भीमराव अम्बेडकर सागर और सोनेवानी अभयारण्य बालाघाट तथा एक टाइगर रिजर्व वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य सागर बनाने का निर्णय भी लिया गया है।

वन बल प्रमुख ने बताईं यह उपलब्धियां भी

  • विगत 4 वर्षों में 20.72 करोड़ पौधों का रोपण
  • समुदाय आधारित वन प्रबंधन से 1152 ग्रामों के 4.31 लाख है. बिगड़े वन क्षेत्र पूर्ण रूप से स्थापित होकर अच्छे वन की श्रेणी में शामिल
  • वन समितियों के लाभांश में वृद्धि। वन समितियों को काष्ठ राजस्व का 20 का प्रावधान एवं बांस का 100%। इस वर्ष (2023-2024) रूपये 340 करोड़ लाभांश का प्रावधान
  • 2612 ग्राम वन समितियों में माइक्रोप्लान आधारित प्रबंधन लागू। विगत वर्षों में लगभग 7.30 करोड़ रूपये का वनोत्पाद समिति सदस्यों को वितरित किया गया
  • ‘बफर में सफर’ के अंतर्गत 26 गेट प्रारंभ होने से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि एवं ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ
  • सी.एस.आर./सी.ई.आर. से वन पुनर्स्थापना हेतु नियम अधिसूचितः वर्ष 2022-23 में 208 हेक्टेयर वन क्षेत्र में उपचार प्रगति पर एवं वर्ष 2023-24 में 6700 हेक्टेयर के उपचार हेतु अनुबंध का प्रयास जारी
  • ग्रीन इनीशिएटिव के अंतर्गत 4, 12,000 बैंबू पोल्स का फेंसिंग में उपयोग
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