मध्य प्रदेश

नौतपा में न पास आता है सूर्य, न किरणें होती हैं पूरी सीधी, घड़ी के कांटों की तरह निश्चित समय पर आता है नौतपा

विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने नौतपा से जुड़ी भ्रांतियों को वैज्ञानिक तरीके से तथ्‍यों के साथ दूर किया

भोपाल। नौतपा प्रारंभ हो गया है। नौतपा के साथ गर्मी से जुड़ी मान्‍यता के साथ अनेक भ्रांतियां भी सामने आती रहती हैं। इसे दूर करने के लिए वैज्ञानिक जानकारी देते हुए नेशनल अवार्डी विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि आकाश में सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्‍वी हर साल 25 मई को उस स्थिति में पहुंच जाती है कि सूर्य के पीछे रोहिणी नक्षत्र आ जाता है। जिस प्रकार हर 365 दिन बाद आप अपना जन्‍मदिन मनाते हैं, उसी तरह हर 365 दिन बाद नौतपा की खगोलीय स्थिति बनती है।

सारिका ने बताया कि 25 मई से दो जून तक नवतपा का आना तय होता है। सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की घटना सन 1000 में 11 मई को हुआ करती थी। सन 1400 में 17 मई को होती थी। संभवत: इस अवधि में भारत के मध्‍यभाग में तीव्र गर्मी होने से इस खगोलीय पर्व का सम्‍बंध प्रचंड गर्मी से जोड़ दिया गया हो। खगोलीय पिंडों की गति से मौसम का संबंध जोड़ते हुए इसके बारे में पसीने छुड़ाने वाला समय माना जाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन में अन्‍य खगोलीय परिवर्तनों से यह हर बार हो यह जरूरी नहीं होता है।

सारिका ने बताया कि इंटरनेट मीडिया में यह बताया जाता है कि नौतपा में सूर्य की किरणें लम्‍बवत पड़ती हैं, जबकि कर्क रेखा के पास स्थित स्‍थानों में तो सूर्य की किरणें जून के तीसरे सप्‍ताह में लम्‍बवत होती हैं। इसी प्रकार यह बताया जाता है कि नौतपा में सूर्य पृथ्‍वी के पास आता है, जबकि सूर्य पृथ्‍वी के सबसे पास चार जनवरी को आता है, उस समय तो शीतऋतु रहती है। सूर्य इस समय पृथ्‍वी से दूर जा रहा है और चार जुलाई को यह साल की सबसे अधिक दूरी पर होगा। इसलिए नौतपा में न तो सूर्य की किरणें पूरी तरह सीधी पड़ती हैं और न ही सूर्य पृथ्‍वी के पास रहता है।

इन महीनों में मध्‍याह्न में यह रहता है सूर्य की किरणों का झुकाव

मई – 88 डिग्री

जून – 90 डिग्री

दिसंबर – 43 डिग्री

सूर्य से पृथ्‍वी की दूरी

4 जनवरी -14 करोड़ 70 लाख किमी से कुछ अधिक

25 मई – 15 करोड़ 14 लाख किमी से कुछ अधिक

11 वर्ष में नौतपा में चार बार वर्षा हुई, तीन वर्ष कमजोर रहा मानसून

दूसरी ओर लंबे समय से नौतपा (25 मई से दो जून तक की समयावधि) को लेकर कहा जाता है कि यदि नौतपा के दौरान वर्षा होती है, तो मानसून कमजोर रहता है। हालांकि, मौसम विज्ञानी इस मिथक को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं, लेकिन यह जरूर मानने हैं कि नौतपा में तापमान कम बना रहने से मानसून के आगमन की तीव्रता जरूर प्रभावित होती है।

नौतपा में वर्षा होने पर खंड वर्षा की स्थिति

ज्योतिषियों का भी दावा है कि नौतपा में वर्षा होने पर खंड वर्षा की स्थिति बनती है। यदि राजधानी भोपाल के पिछले 11 वर्षों के नौपता की अवधि के आंकड़ों पर गौर करें तो यह बात सच भी साबित हो रही है। 11 वर्षों में नौतपा में चार बार वर्षा हुई, उनमें से तीन वर्षों में मानसून की स्थिति कमजोर रही।

नौतपा में वर्षा होने की संभावना कायम

अमूमन गर्मी के सीजन में अप्रैल और मई माह में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है। विशेषकर नौतपा में राजधानी में अधिकतम तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है। हालांकि, इस वर्ष मार्च, अप्रैल के बाद मई माह में भी वर्षा होने के कारण इस सीजन में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुंच सका है। अब नौतपा में भी वर्षा होने की संभावना बनी हुई है।

क्यों तपता है नौतपा

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि खगोल विज्ञान के अनुसार नौतपा के दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लंबवत् पड़ती हैं। सूर्य भी 14 घंटे से अधिक समय तक रहता है। इस वजह से तापमान काफी बढ़ जाता है। मौसम विज्ञान नौतपा में वर्षा होने की स्थिति में मानसून कमजोर होने का कारण नहीं मानता, लेकिन इससे मानसून के आगमन की तीव्रता जरूर प्रभावित होती है। दरअसल, जब तापमान चरम पर होता है, तब दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत चलने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएं समुद्र की तरफ से पूरे वेग से आगे बढ़ती हैं। इससे मानसून तेज गति से आगे बढ़ता है।

ज्योतिष के अनुसार कमजोर रहेगा मानसून

ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पं. विनोद गौतम ने बताया कि सूर्य, वृष राशि में आने के 14 दिन बाद रोहिणी नक्षत्र में आता है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने को वर्षा का गर्भकाल कहा जाता है। इन दिनों में जितनी अधिक गर्मी पड़ती है, उतना वर्षा का गर्भ अधिक पुष्ट होता है। इस वजह से नौतपा के तपने से वर्षा भी अच्छी होती है। इस बार नौपता के दौरान शुक्र राशि परिवर्तन करत रहे हैं। वह मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। 30 मई से गुरु, बुध और राहू का त्रिग्रही योग भी बन रहा है। इसे चांडाली योग भी कहते हैं। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष नौतपा में वर्षा होगी।

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