लेखक की कलम से

निराश मन…

कुछ ऐसा हो जाए
न सुन पाऊँ
पुकार अपने नाम की
इक आह तेरे नाम की

ठहरुं न कहीं
देखूँ न कुछ
सिमट जाए दिन
बीत जाए रात

पगडंडी कोई न ले जाए
नए किसी रास्ते पर फिर से

न कदमों की आवाज़ सुनाई दे
न सुनाई दें उदास दिल की धड़कनें

थकावट ओढ़ कर मन
आराम करे ,विराम लगे
सदियों से घूमती धरती ठहरे
ठहर जाए चांद, सूरज सब सितारे

©सीमा गुप्ता, पंचकूला, हरियाणा

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