लेखक की कलम से
सुरुज ल परघाबोंन ….
सुत उठ के बड़े बिहिनिया उत्ति माथ नवाबोंन,
नवा बेरा के अगोरा म चल सुरुज ल परघबोन ||
हलधरिया चल नागर धर डोली डहर म जाबोन,
करम करके भाग बनाबों पसीना ल चुचवाबोंन ||
टूटहा छानी अउ कुरिया ह मोर हरे चिन्हारी ग,
इहि मोर परान संगी अउ इहि घलो पहिचान न ||
नवा जमाना आगे संगी अउ बेरा घलो बदलेगे न,
आनी बानी फेसन आगे ओनहा घलो चिथरा ग ||
करम के नागर जोतेबर बिहिनिया खाथन बासी,
महतारी तोर सेवा बजाथन अन घलो उगाथन ||
कोन्हों हमर पूछैय्या नइहे कोन डहर म जाबोन,
रद्दा अपन चतवारे बर चल सुरुज ल परघाबोन ||
“जय जोहार”
©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़