लेखक की कलम से
तलाश ….
यहाँ हर किसी को
किसी न किसी की तलाश रहती है
रात भी सुनसान सड़कों पर भटकती है
जाने….वो भी किसी अपने की
तलाश करती है……
जिस्म की कैद में बहुत बेचैन है रुह
न जाने किससे मिलने को तड़पती है
कौन है वो जिसकी तलाश करती है
हर रोज़ शाम होते ही टूटकर
उदास होने लगती है
टकटकी लगा बड़ी देर तक
सितारों से बात करती है….
©सीमा गुप्ता, पंचकूला, हरियाणा