लेखक की कलम से
तुम चले तुम बढ़े…
न कभी झुके,
न कभी रुके,
तुम चले सदा चले,
तुम बढ़े सदा बढ़े,
जुनून मातृभक्ति का,
संग माँ की शक्ति का,
तुम रमें तू रमे,
देश भक्ति का भाव लिए,
लक्ष्य लिए तुम बढ़े,
तुम बढ़े सदा बढ़े,
कदम कभी रुके नहीं,
शीश कभी झुके नहीं,
अस्त्र शस्त्र संग लिए,
वीरता पथ पर चले,
हर शूल प्रहार तुम सहे,
शूल पथ पर तुम चले,
सवारने हमारा कल,
लाख प्रहार तुम सहे,
मुस्कान मुख पर लिये,
हर जंग तुम लड़े,
पछाड़ हर शत्रु को,
तिरंगा लहलहाते,
भारत माँ का गुणगान किये,
लाख बलिदान तुम दिए,
है सलाम हे वीर सपूतों,
भारत माँ के अमर सपूतों,
नतमस्तक कर इस धरा को,
खुशहाल बनाने इस जहाँ को,
तुम चले तुम चले,
तुम चले तुम बढ़े।।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी