लेखक की कलम से
जब मैं ना रहूं …
गज़ल
जब लिखना तुम कहानी अपनी ।
मेरी जिंदगी का सफर को भी लिखना ।।
अपनी जब भी बेताबी को लिखना ।
मेरे चेहरे की मायूसी को मत भूलना ।।
अपनी राहों के कांटे जब भी गिनना ।
मेरे पांव के छालों को भी लिखना ।।
जब तुम अपनी अच्छाई को लिखना ।
मेरी वफा की सच्चाई को भी लिखना ।।
अपनी जब उदासी लिखना
मेरी पत्थराई आंखों को मत भूलना ।।
जब तुम अपनी तन्हाई को लिखना ।
हर पल बनी तेरी मैं परछाई को भी लिखना ।।
अपनों का जब भी तुम जिक्र को लिखना ।
सभी ने ठुकराया है मुझको ये मत भूलना ।।
जब भी तुम अपने मंजिल को लिखना ।
मेरे बिखरे हुए ख्वाबों को भी लिखना ।।
जब भी तुम अपनी मुश्किलों को लिखना ।
मेरे बुलंद इरादे भी लिखना ।।
जब भी तुम अपनी कहानी लिखना ।
मैं हर कदम साथ रही ये भी लिखना ।।
©तबस्सुम परवीन, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़