लेखक की कलम से
सहजता …
कविता
अचानक आ गई बारिश में
देखती हूँ
झूमते -नाचते हुए पेड़
सराबोर होती धरा
ठहरे हुए कबूतर ,
मैना , चिड़िया , कोयल
शांत
किसी छज्जे के नीचे
इंतज़ार
करते सहजता से
पँख सुखाते
चोंच मिलाते
आपस में बतियाते
प्रतीक्षा
बारिश के रुकने की
निहारते
ज्यों एक -एक बूँद
उठाते
लुफ्त ठंडी बयार का
उड़ान
भरने को तैयार
पूछती हूँ मैं
पास बैठी मैना से –
क्यों मुझ में तुम-सी
सहजता नहीं ?
©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़