लेखक की कलम से

बाल श्रम …

12 जून बाल श्रम दिवस पर विशेष

 

 

 मेहनत कर करता गुजारा।

 जीवन का कर्म एक सहारा।

 किस्मत ने किया जिसे वरण ,

 बाल -श्रम की व्यथा मर्म -मर्म ।

हर कोई है दुत्कार जाता ।

कोई प्यार से कभी पास बुलाता।

 छोटे हाथों के बड़े कर्म ,

बाल -श्रम की व्यथा शर्म -शर्म ।

 

जीवन के संघर्ष से लड़ता।

 अपने फर्जों को पूरा करता ।

बचपन खेल के बस रहे भरम।

 बाल -श्रम उन्मूलन हो धर्म -धर्म।

©प्रीति शर्मा, सोलन हिमाचल प्रदेश

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