लेखक की कलम से

पर्यावरण से है हम …

पर्यावरण अथवा जीव अथवा पृथ्वी जी हां सही समझे ,

ये सब एक श्रृंखला है जो हमे यापन के साथ जीवित रखी हुई है ।

पर्यावरण के बिना ये पृथ्वी और मानव जीव सिर्फ कल्पना मात्र है। जीवन यापन का जुड़ाव केवल और केवल पर्यावरण तक ही जाता है ।

ये सब जानते हुए भी मानव जाति पर्यावरण का दोहन इस क़दर कर रही है कि वह दिन दूर नही जब मानव की गलती मानव ही भुगतेगा जैसे की आज का उदहारण कोरोना जो की एक वैश्विक महामारी बन चुकी है यह तो केवल एक नमूना मात्र है।

जहां एक तरफ पानी की कमी से झुंझ रहे वही दूसरी तरफ बाढ़ से प्रभावित हो रहे , जहां एक तरफ ऑक्सीजन की कमी होती जा रही , समुद्र तट बड़ते जा रहे और गलेशियर पिघलते जा रहें मतलब पृथ्वी मानव जीवन के खतरे के संकेत दिए जा रही है।

विश्व पर्यावरण दिवस

हालांकि पर्यावरण संरक्षण के लिए देश विदेश में अनेकों अनेक कार्यक्रम चल रहे है परंतु आप और हम अर्थात् प्रत्येक मानव इसके साथ खड़ा नहीं होगा तब तक यह कहना मुश्किल हैं कि पर्यावरण संरक्षण हो रहा है।

सन् 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा करी गई, हालांकि यह दिवस 5जून 1973 से मनाया गया।

जीने के लिए हमारे पास एक मात्र ग्रह हमारी पृथ्वी ही है ,या कहे तो हमारा पहला घर यही पृथ्वी है। और हम अपने घर को बनाने उसको सजाने की जी तोड़ कोशिश करते है क्यू ना यही कोशिश हमारी पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता को सदैव बनाए रखने के लिए करे , क्यूं की इसके लिए हम अनुबंध या जिम्मेदार है ।

 

©इंजी. सोनू सीताराम धानुक, शिवपुरी मध्यप्रदेश   

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